Tuesday 24 September 2013

भवन/ मकान में जल स्थान वास्तुशास्त्र अनुसार


वास्तु श्रेष्ठ  has been formed by Shri. Arun Sharma, A vastu advisor                                from Kolkata to cater to the needs of Vastu implementation in residential, commercial and industries.


Vastu Shastra is the spiritual, scientific design system from India's Vedic tradition. Vastu creates the peace and stability we need for greater success and joy in life. Vastu is
perfect for conscious lifestyles in alignment with nature. 


In the present complex scenario, we do not find time for ourselves to analyse the various reasons that lead us to failures in health, wealth or relationships.



Vastu is the form or matter, including the space that fills it. The form and the space within the form are intimately connected and affect each other. The Sanskrit expression, "Vastu reva vaastu," means that unbounded pure consciousness, the unmanifest source of manifestation, transforms into the material world.


Its importance has been explained in the Indian civilization thousand years ago. According to it before constructing our house hotel, factory, office, clinic, hospital, restaurant, inn or temple etc. We should know the five elements and do the construction accordingly so that one gets PEACE, PROSPERITY & HAPPINESS.





भवन/ मकान में जल स्थान वास्तुशास्त्र अनुसार 

 


वास्तु ( शास्त्र  ) हमेशा से ही प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। 

वर्तमान में जब से लोगों ने वास्तु शास्त्र के बारे में जाना है, तब से वास्तु शास्त्र के अनुरूप भवन बनाने का प्रयत्न करने लगे है 

इस बारे में कोई दो राय नहीं है कि यदि भवन निर्माता वास्तुशास्त्र का अध्धयन कर के या किसी वास्तुशास्त्र के मूर्धन्य विद्धवान से परामर्श कर के अपने भूखंड पर भवन का निर्माण कराये, तो वह व्यक्ति अपने जीवन में कहीं अधिक सफलता प्राप्त कर सकता है। 

वर्ना अशास्त्रीय ढंग से भवन का निर्माण जीवन में संघर्षों का निमंत्रण देता है। हालाकिं कर्म और भाग्य महत्वपूर्ण हैं परन्तु वास्तुशास्त्र की भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है।।।।।।


मकान में पानी का स्थान सभी मतों से ईशान से प्राप्त करने को कहा जाता है और घर के पानी को उत्तर दिशा में घर के पानी को निकालने के लिये कहा जाता है।।।। 

लेकिन जिनके घर पश्चिम दिशा की तरफ़ अपनी फ़ेसिंग किये होते है और पानी आने का मुख्य स्तोत्र या तो वायव्य से होता है या फ़िर दक्षिण पश्चिम से होता है, उन घरों के लिये पानी को ईशान से कैसी प्राप्त किया जा सकता है,,,,, इसके लिये वास्तुशास्त्री अपनीअपनी राय के अनुसार कहते है कि पानी को पहले ईशान में ले जायें।।।


मेरा मानना हे कि घर के अन्दर पानी का इन्टरेन्स कहीं से भी हो, लेकिन पानी को ईशान में ले जाने से पानी की घर के अन्दर प्रवेश की क्रिया से तो दूर नही किया जा सकता है, लेकिन इशान में रख कर उसका ख़राब इफ़ेक्ट तो हम कम कर सकते ही है।। 


पानी के प्रवेश के लिये अगर घर का फ़ेस साउथ में है तो और भी जटिल समस्या पैदा हो जाती है, 


नेत्रित्य से आता है तो कीटाणुओं और रसायनिक जांच से उसमे किसी न किसी प्रकार की गंदगी जरूर मिलेगी,


और अगर वह अग्नि से प्रवेश करता है तो घर के अन्दर पानी की कमी ही रहेगी और जितना पानी घर के अन्दर प्रवेश करेगा उससे कहीं अधिक महिलाओं सम्बन्धी बीमारियां मिलेंगी।


पानी को उत्तर दिशा वाले मकानों के अन्दर ईशान और वायव्य से घर के अन्दर प्रवेश दिया जा सकता है,


लेकिन मकान के बनाते समय अगर पानी को ईशान में नैऋत्य से ऊंचाई से घर के अन्दर प्रवेश करवा दिया गया तो भी पानी अपनी वही स्थिति रखेगा जो नैऋत्य से पानी को घर के अन्दर लाने से माना जा सकता है। 


पानी को ईशान से लाते समय जमीनी सतह से नीचे लाकर एक टंकी पानी की अण्डर ग्राउंड बनवानी चाहिए , फ़िर पानी को घर के प्रयोग के लिये लाना चाहिये।।।।


बरसात के पानी को निकालने के लिये जहां तक हो उत्तर दिशा से ही निकालें,फ़िर देखें घर के अन्दर धन की आवक में कितना इजाफ़ा होता है,लेकिन उत्तर से पानी निकालने के बाद आपका मनमुटाव सामने वालेपडौसी से हो सकता है इसके लिये उससे भी मधुर सम्बन्ध बनाने की कोशिश करते रहे।


वास्तुशास्त्र में भवन का निर्माणकरते समय जल का भंडारण किस दिशा में हो यह एक महत्वपूर्ण विषय है शास्त्रों के अनुसार भवन में जल का स्थान ईशान कोण (नॉर्थ ईस्ट) में होना चाहिए परन्तु उतर दिशा, पूर्व दिशा और पश्चिम दिशा में भी जल का स्थान होसकता है परन्तु आग्नेय कोण में यदि जल का स्थान होगा तो पुत्र नाश,शत्रु भय और बाधा का सामना होता है दक्षिण पश्चिम दिशा में जल का स्थान पुत्र कीहानि,दक्षिण दिशा में पत्नी की हानि, वायव्य दिशा में शत्रु पीड़ा और घर का मध्य में धन का नाश होता है


वास्तु शास्त्र में भूखंड के या भवन के दक्षिण और पश्चिम दिशा की और कोई नदी या नाला या कोई नहर भवन या भूखंड के समानंतर नहीं होनी चाहिए परन्तु यदि जल का बहाव पश्चिम से पूर्व की और हो या फिर दक्षिण से उतर की और तो उतम होता है


भवन में जल का भंडारण आग्नेय, दक्षिण पश्चिम, वायव्य कोण, दक्षिण दिशा में ना हो, जल भंडारण की सबसे उतम दिशा पूर्व, उत्तर या ईशान कोण है।।।।




शुभम



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Consultation Description are as follows, No Visiting without Appointment   

Kolkata:

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Arun Sharma
(Vastu Consultant)

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WEB: http://subhamvastu.comemail: subham.vastu@gmail.com 

                                                            


         

Disclaimer :
 Arun Sharma hereby, excludes any warranty, express or implied about the accuracy or quality regarding any of the projected contents, calculations, suggestions, advises etc. Vastu Shastra cannot be directly linked with prosperity etc. It only suggests ways in which one can live in tune with the laws of nature, so that you can be healthy and peaceful and work efficiently. We hereby declare that no one is authorised to impart any type of schools nor collect and execute Vastu corrections on our behalf unless and untill otherwise intimated in writing.

Wednesday 18 September 2013

|| धन कैसे बढाए ||


वास्तु श्रेष्ठ  has been formed by Shri. Arun Sharma, A vastu advisor                                from Kolkata to cater to the needs of Vastu implementation in residential, commercial and industries.


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|| धन कैसे बढाए ||


ऐसा ही एक उपाय है, जन्म मास।

अगर व्यक्ति अपनी जन्म तारीख के अनुसार उपायों पर अमल करें, तो उन्हें धन प्राप्ति का लाभ मिल सकता है।

--- 13 फरवरी से 13 मार्च के बीच जन्मे जातक यदि गुरुवार के दिन वट वृक्ष की जटा सूती सफेद धागे से बांधकर मुख्य द्वार पर टांगें, तो इससे घर में लक्ष्मी का प्रवेश होगा।

--- जिन जातकों का जन्म 14 मार्च से 12 अप्रैल के बीच हुआ हो, वह सात मंगलवार को श्मशान के पास स्थित हनुमान जी को चोला चढ़ाएं, तो उन्हें लाभ होगा।

--- अगर जातक का जन्म 13 अप्रैल से 13 मई के बीच हुआ है, तो कमलगट्टे की माला को लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी या कैश बॉक्स में रखें। निश्चितरूप से आपको लाभ होगा।

--- इसी प्रकार अगर जातक 14 मई से 14 जून के मध्य जन्मा हो, तो धन प्राप्ति का योग बनाने के लिए वह पीपल के पांच पत्ते लेकर उन्हें केसर से रंगकर बहते हुए पानी में प्रवाहित करे। लाभ होगा।

--- यदि जातक 15 जून से 15 जुलाई के बीच जन्मे हैं, तो वट वृक्ष के पांच फलों को लाल चंदन से रंगकर उन्हें लाल कपड़े में बांध दें और उस जगह रखें, जहां अपना धन रखते हैं।

--- यदि जातक का जन्म 16 जुलाई से 15 अगस्त के बीच हुआ है, तो सोमवार के दिन एक मुट्ठी चावल लें और उसे ॐ गुरवै नम: का जप करते हुए बहते हुए पानी के स्रोत में प्रवाहित कर दें।

--- यदि जातक 16 अगस्त से 15 सितंबर के बीच जन्मा हो, तो धन प्राप्ति के योग के लिए दाहिने हाथ की कलाई में छह बार कलावा लपेटें तथा रोज सुबह उठकर अपने इष्टदेव को प्रणाम करें। फिर छह सप्ताह के बाद कलावे को जल में प्रवाहित कर दें। आपको शीघ्र लाभ होगा।

--- 16 सितंबर से 15 अक्तूबर के बीच जन्मे जातकों के लिए सही उपाय यह है कि वह लाल वस्त्र में पांच सुपारी बांधकर कैश बॉक्स या तिजोरी में रखें।

--- अगर जातक का जन्म 16 अक्तूबर से 15 नवंबर के बीच हुआ हो, तो धन प्राप्ति के लिए वह शुक्रवार को सात कन्याओं को सफेद मिष्ठान्न खिलाएं। यदि सफेद बर्फी खिलाएंगे, तो अच्छा रहेगा।

--- 16 नवंबर से 14 दिसंबर के बीच जिन जातकों का जन्म हुआ हो, वह गुरुवार को गुलाब जल में चंदन घिसकर उसका तिलक लगाएं, तो लाभ होगा।

--- 15 दिसंबर से 13 जनवरी के बीच जन्मे जातकों के लिए सही उपाय यह होगा कि वह पान के पत्ते पर घी से श्री लिखें और उसे गाय को खिला दें। गौ माता के आशीर्वाद से उन्हें शीघ्र ही धन लाभ होगा।

--- जिन जातकों का जन्म 14 जनवरी से 12 फरवरी के बीच हुआ हो, वह आक की रुई का दीपक जलाकर तिराहे पर रखें, तो उन्हें धन लाभ होगा।






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शुभम


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